पद्म कालसर्प योग । padam kalsarp yog
जन्मकुण्डली में जब राहु पंचम व केतु एकादश भाव में हों तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म नामक कालसर्प योग बनता है।
पद्म कालसर्प योग का उपाय
* किसी शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर चांदी का स्वस्तिक एवं दोनों ओर धातु से मिर्मित नाग चिपका दें।
* शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से व्रत प्रारंभ कर 18 शनिवारों तक व्रत करें और काला वस्त्र धारण कर 18 या 3 माला राहु के बीज मंत्र का जाप करें। फिर एक बर्तन में जल दुर्वा और कुश लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं।
* भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही वस्तुएं दान भी करें। रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें। नाग पंचमी का व्रत भी अवश्य करें।
* नित्य प्रति हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें और हर शनिवार को लाल कपड़े में आठ मुट्ठी भिंगोया चना व ग्यारह केले सामने रखकर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और उन केलों को बंदरों को खिला दें और प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं और हनुमान जी की प्रतिमा पर चमेली के तेल में घुला सिंदूर चढ़ाएं और साथ ही श्री शनिदेव का तेलाभिषेक करें।
* श्रावण के महीने में प्रतिदिन स्नानोपरांत 11 माला ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करने के उपरांत शिवजी को बेलपत्र व गाय का दूध तथा गंगाजल चढ़ाएं तथा सोमवार का व्रत करें।
कालसर्प को लेकर पं. उदय प्रकाश शर्मा की अपनी बात
कहने का तात्पर्य यह है की यदि विद्वान् गुरुजनों ने किसी तथ्य की खोज बाद के काल में की है तो उस पर पूर्ण अध्ययन किये बिना उसे नकार देना हठधर्मिता ही कही जाएगी। कालसर्प योग पर अधिक ध्यान दिया जाना आवश्यक है. कई अवस्थाओं में यह योग कुंडली में मौजूद होते हुए भी निष्क्रिय होता है, कई बार इसके दुष्परिणाम भी दिखाई पड़ते हैं । इसे एकदम से नकार देना भी उचित न होगा।
।। इति शुभम् ।।
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