rahu mantra । राहु ग्रह के मंत्र एवं उपाय
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rahu mantra evam upay |
ऐसे में सवाल उठता है ग्रह देव राहु को किस मन्त्र अथवा उपाय से प्रसन्न किया जाये? क्या दान किया जाये? क्या पाठ किया जाये ?.. जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त हों..तो आईये मित्रों मै राहु देव के सभी मन्त्र व उपायों को आप के सामने रखने का प्रयास कर रहा हूँ। आप इनसे लाभ उठायें ।
नोट- निम्नलिखित किसी भी मन्त्र द्वारा ग्रह देव राहु का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमे से एक अथवा एक साथ कई उपाय एक साथ किए जा सकतें है यह अपनी श्रद्धा पे निर्भर करता है। यह सभी बारम्बार अजमाए हुए फलित उपाय है।
राहु ग्रह का पौराणिक मन्त्र
ॐ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्।सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
राहु ग्रह का गायत्री मन्त्र
ॐ शिरोरुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ।।राहु ग्रह का वैदिक मन्त्र
ऊँ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदा वृधः सखा।कया शचिष्ठया वृत।।
राहु ग्रह का बीज मंत्र
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।जप संख्या_18000
समय_ शनिवार शुक्ल पक्ष रात्रिकाल
राहु ग्रह का तांत्रिक मन्त्र
ॐ रां राहवे नमःराहु ग्रह पूजा मंत्र
ऊँ ऐं ह्रीं राहवे नमःयह मन्त्र बोलते हुए राहु देव अथवा राहु यंत्र की पूजा करें।
राहु ग्रह का दान
राहु ग्रह के दान के लिए दिन है शनिवार। अतः इस दिन सतनाजा, ( सात प्रकार के अनाज ) गोमेद-नीलम, सीसा काला घोडा, सोने या चांदी का बना हुआ सर्प, काले उडद, तलवार, नीला या काला कंबल, नारियल, तिल का तेल, कोयला, खोटे सिक्के, जलेबी ( एकतरह की मिठाई ) संध्या समय किसी कोढ़ी को दान में देना चाहिए।(विशेष- कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें)
राहु ग्रह का व्रत
राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।जब भी शनिवार का व्रत करना हो तो सर्वप्रथम किसी भी कृष्ण पक्ष के शनिवार से सुरु करें, सबसे पहले शनिवार के दिन पहले स्नान आदि से निवृत होकर ऊँन के आसन पर पश्चिम दिशा की तरफ मुह कर के बैठ जाएँ, अब ग्रह देव राहु का ध्यान करें उनका यंत्र सामने रख लें तो अति उत्तम, अब अपने दहिने हाँथ में शुद्ध जल ले लें और उनसे अपनी मनोकामना कहकर संकल्प करें कि हे ग्रह देव राहु मै अपनी यह मनोकामना लेकर आप की इतने शनिवार का व्रत करने का संकल्प करता हूँ। आप मेंरे मनोरथ पूर्ण करें और मुझे आशीर्वाद दें, यह कह कर हाँथ में लिया हुआ जल धरती पर गिरा दें, ऐसा संकल्प सिर्फ प्रथम शनिवार को करना है। तत्पपश्च्यात श्रद्धा भाव से राहु देव का पंचोपचार पूजन करें व ऊपर लिखित किसी भी मन्त्र का 1, 3, 5, 7, 9, 11 जितना भी संभव हो उतनी माला जप करें।
अगर घर के आस-पास भैरव मंदिर हो तो उस दिन जाकर भैरव देव का दर्शन कर के उनका आशीर्वाद लें।
नोट- जितना संकल्प किया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहीए, किसी गरीब व वृद्ध व्यक्ति को घर पर बुलाकर भोजन करना चाहिए व राहु की वस्तुए अपनी समर्थ अनुसार दान करनी चाहिए।
राहु ग्रह के कुंडली में शुभ होने पर
* राहु की अनुकूलता के लिए भैरोदेव की पूजा करें या महामृत्युंजय मन्त्र का जप करें।* मीठी रोटी कौए को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों चावल दान करें।
* कुंडली में शुभ स्थिति में होने पर राहु रत्न गोमेद पंच धातु की अंगूठी में सीधे हाँथ की माध्यमा उंगली में शनिवार को धारण करना चाहिए।
* काले कांच की गोली या खोटे सिक्के जेब में रखने से राहु बलवान हो जाता है।
* राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए।
* गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए।
* राहु की दशा से आप पीड़ित हैं तो अपने सिरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी।
* ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
* हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
* अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
* अपनी चारपाई या बेड के चारो कोनो पे सिक्के बंधने से राहु बलवान हो जाता है।
राहु ग्रह के कुंडली में नीच एवं अशुभ होने पर
* जमादार या सफाई कर्मचारी को तंबाखू या इससे बनी चजे दान देनी चाहिए।* दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
* यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
* झुठी कसम नही खानी चाहिए।
* काले व निले कपडे नहीं पहनने चाहिए।
* शनिवार के दिन अथवा नित्य भगवती दुर्गा एवं सरस्वती की जी की पूजा करने से राहु का शुभ फल प्राप्त होता है।
* प्रत्येक शनिवार 400 ग्राम कच्चे कोयले बहते हुए जल में प्रवाहित करने चाहिए।
* घर में बनने वाली पहली रोटी खीर के साथ काले रंग की गाय अथवा कौओं को खिलाना चाहिए ।
* राहु अगर अशुभ हों तो ससुराल से इलेक्ट्रानिक वस्तुए उपहार में नहीं लेनी चाहिए ।
* राहु के किसी नक्षत्र वाले दिन से सुरु कर के जौ के आंटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलानी चाहिए।
नोट- इनमे से कोई एक अथवा कई उपाय एक साथ श्रधा पूर्वक करना चाहिए।
इनके अंलावा राहु ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो निम्नलिखित स्त्रोत का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी कृष्ण पक्ष के शनिवार से प्रारम्भ कर के हर शनिवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, स्कन्द पुराण में वर्णित इस पाठ का बहोत ही महत्व है, इससे जीवन में ग्रह देव राहु से संबंधित उपरोक्त सभी फल प्राप्त होते हैं।
विधि- सर्व प्रथम स्नानआदि से निवृत होकर उन के आसन पे बैठकर ग्रह देव राहु का ध्यान करें व श्रद्धापूर्वक पंचोपचार (धुप, गंध/चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाँथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे लिखे मन्त्र को पढ़ें।
( विनियोग का बहुत महत्त्व है। जैसे- किसी भी मन्त्र या स्तोत्र या छंद को जपने, पढने का उदेश्य क्या है, उसको खोजने वाले, रचना करने वाले ऋषि कौन है अदि.. हम विनयोग द्वारा उस मन्त्र आदि को अपने कल्याण के लिए उपयोग कर रहे हैं और उसके रचयिता का आभार कर रहे हैं )
विनियोग मन्त्र* घर में बनने वाली पहली रोटी खीर के साथ काले रंग की गाय अथवा कौओं को खिलाना चाहिए ।
* राहु अगर अशुभ हों तो ससुराल से इलेक्ट्रानिक वस्तुए उपहार में नहीं लेनी चाहिए ।
* राहु के किसी नक्षत्र वाले दिन से सुरु कर के जौ के आंटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलानी चाहिए।
नोट- इनमे से कोई एक अथवा कई उपाय एक साथ श्रधा पूर्वक करना चाहिए।
इनके अंलावा राहु ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो निम्नलिखित स्त्रोत का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी कृष्ण पक्ष के शनिवार से प्रारम्भ कर के हर शनिवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, स्कन्द पुराण में वर्णित इस पाठ का बहोत ही महत्व है, इससे जीवन में ग्रह देव राहु से संबंधित उपरोक्त सभी फल प्राप्त होते हैं।
विधि- सर्व प्रथम स्नानआदि से निवृत होकर उन के आसन पे बैठकर ग्रह देव राहु का ध्यान करें व श्रद्धापूर्वक पंचोपचार (धुप, गंध/चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाँथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे लिखे मन्त्र को पढ़ें।
( विनियोग का बहुत महत्त्व है। जैसे- किसी भी मन्त्र या स्तोत्र या छंद को जपने, पढने का उदेश्य क्या है, उसको खोजने वाले, रचना करने वाले ऋषि कौन है अदि.. हम विनयोग द्वारा उस मन्त्र आदि को अपने कल्याण के लिए उपयोग कर रहे हैं और उसके रचयिता का आभार कर रहे हैं )
अस्य श्री राहु स्तोत्रस्य वामदेव ऋषि, गायत्री छन्दः राहुर्देवता, राहु प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥1॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥2॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥3॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥4॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥5॥
ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥6॥
॥इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
।।इति शुभम्।।
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राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥1॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥2॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥3॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥4॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥5॥
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