ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

रविवार, 20 दिसंबर 2020

kulik kalsarp yog । कुलिक कालसर्प योग और उपाय

 कुलिक कालसर्प योग और उपाय । kulik kalsarp yog


जन्मकुण्डली में राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य हों तो कुलिक नाम कालसर्प योग बनता है।
kulik kalsarp yog । कुलिक कालसर्प योग

इस योग के फल स्वरूप जातक को सदैव कोई न कोई रोग हुआ रहता है। प्रायः मुख व गुदा संबंधी रोग होते हैं। गले के ऊपर का अंग दोषपूर्ण होता है।अपयश का भी भागी बनना पड़ता है। इस योग की वजह से जातक की पढ़ाई-लिखाई सामान्य गति से चलती है तथा वह सदा भ्रम की स्थिति में रहता है। वैसे तो उसका वैवाहिक जीवन सामान्य रहता है परंतु आर्थिक परेशानियों की वजह से उसके वैवाहिक जीवन में भी जहर घुल जाता है। मित्रों द्वारा धोखा, संतान सुख में बाधा और व्यवसाय में संघर्ष कभी उसका पीछा नहीं छोड़ते। जातक का स्वभाव भी विकृत हो जाता है। मानसिक असंतुलन और शारीरिक व्याधियां झेलते-झेलते वह समय से पहले ही बूढ़ा हो जाता है। उसके उत्साह व पराक्रम में निरंतर गिरावट आती जाती है। उसका कठिन परिश्रमी स्वभाव उसे सफलता के शिखर पर भी पहुंचा देता है। परंतु इस फल को वह पूर्णतय: सुखपूर्वक भोग नहीं पाता है।

कुलिक कालसर्प योग का उपाय

* लग्न से सम्बंधित रत्न ज्योतिषीय सलाह लेकर धारण करें।
* विद्यार्थीजन सरस्वती जी के बीज मंत्रों का एक वर्ष तक जाप करें और विधिवत उपासना करें।
* शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें।
* हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें।
* श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
शनिवार और मंगलवार का व्रत रखें और शनि मंदिर में जाकर भगवान शनिदेव कर पूजन करें व तैलाभिषेक करें, इससे तुरंत कार्य सफलता प्राप्त होती है।
* सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र पूजा घर में स्थापित करें।
* नाग की आकृति की चांदी की अंगूठी बनवाकर पहनें।

कालसर्प को लेकर पं. उदय प्रकाश शर्मा की अपनी बात 

मुझे कुछ पाठकों ने मैसेज में लिखा की गुरु जी यह कालसर्प योग तो होता ही नहीं, इसका किसी शास्त्र में उल्लेख नहीं मिलता तो उन्हें मै इतना ही कहना चाहूँगा कि काफी समय से कालसर्प योग की सत्यता को लेकर गुरुजनों में मतभेद चल रहा है. कोई इसकी सत्यता पर ही सवाल उठा रहा है,कोई इसके पक्ष में खड़ा है.वास्तव में यह सही है की हमारे प्राचीन शास्त्रों में ऐसे किसी योग का उल्लेख नहीं मिलता, किन्तु ऐसे कई तथ्य हैं की जिन चीजों की जानकारी हमें पहले नहीं थी तथा उनकी खोज बाद में हुई, अब आप उन तथ्यों को यह कहकर नकार नहीं सकते की पहले के ग्रंथों में इनका उल्लेख नहीं मिलता, अब जैसे ब्लॉग पहले नहीं होता था, ईमेल पहले नहीं होती थी, लैपटॉप का पहले कहीं जिक्र नहीं मिलता,  मगर आज यह मौजूद हैं उसी तरह युग युगांतर से हर विषय में शोध कार्य होता रहता है और जीवन में जो अनुभव में आता है, वह प्रतिपादित भी होता है तो उसे अपने अनुभव की कसौटी पर परखने के बाद हमें स्वीकार्य करना ही  पड़ता है।

कहने का तात्पर्य यह है की यदि विद्वान् गुरुजनों ने किसी तथ्य की खोज बाद के काल में की है तो उस पर पूर्ण अध्ययन किये बिना उसे नकार देना हठधर्मिता ही कही जाएगी। कालसर्प योग पर अधिक ध्यान दिया जाना आवश्यक है. कई अवस्थाओं में यह योग कुंडली में मौजूद होते हुए भी निष्क्रिय होता है, कई बार इसके दुष्परिणाम भी दिखाई पड़ते हैं । इसे एकदम से नकार देना भी उचित न होगा। 

 एक छोटे से उदाहरण से समझें तो जब किसी छात्र की कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर हो रहे हों व राहू केतु पंचम भाव को प्रभावित कर रहे हों तो अपनी 15-16 वर्ष की आयु के दौरान उस छात्र का ध्यान शिक्षा की और से डगमगाने लगता है, जबकि इस से पहले वह एक बेहतरीन छात्र के रूप में जाना जाता है। यह सत्य है की कालसर्प का योग का  प्रभाव जीवन पर  कहीं न कहीं पड़ता ही है। आप  कालसर्प योग के ऊपर अपने अनुभव को मुझसे साझा भी कर सकते हैं। 


।। इति शुभम् ।।

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